पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाण काल के विषय में स्मरणीय तथ्य एवं नोट्स
पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाण काल के विषय में स्मरणीय तथ्य एवं नोट्स
पुरापाषाण (Paleolithic Age)
आरम्भ में माना जाता था कि पृथ्वी ईश्वर द्वारा बनाई गई है. परन्तु, वैज्ञानिकों ने इस धारणा को बदला. पहले मानव बन्दर की तरह झुककर हाथ और पैर दोनों से चलता था. बाद में वह सीधे खड़े होकर आज शाहरुख खान जैसे चलने लगा. दोनों हाथों के free हो जाने से वह इनसे अनेक काम करने लगा. बाद में तो मस्तिष्क से सोचने का काम करने लगा और आज विज्ञान हमारे सामने है.By F.R.Prajapat
नोट्स की pdf फाइल डाउनलोड करने के लिए नीचे लिंक दिया गया है ...
Paleolithic Age Facts
- जिस समय आरंभिक मानव पत्थर का प्रयोग करता था, उस समय को पुरातत्त्वविदों ने पुरापाषाण काल नाम दिया है.
- यह शब्द प्राचीन और पाषाण (पत्थर) से बना है.
- यह वह कल था जब मनुष्य ने पत्थरों का प्रयोग सबसे अधिक किया.
- पुरातत्त्वविदों के अनुसार, पुरापाषाण काल की अवधि बीस लाख साल पूर्व से बारह हजार साल पहले तक है.
- इस युग को तीन भागों में बाँटा गया है – आरंभिक, मध्य और उत्तर पुरापाषाण युग.
- माना जाता है कि मनुष्य इस युग में सबसे अधिक दिनों तक रहा है.
- इस युग में मनुष्य खेती नहीं करता था बल्कि पत्थरों का प्रयोग कर शिकार करता था.
- इस युग में लोग गुफाओं में रहते थे.
- इस युग में सबसे महत्त्वपूर्ण काम जो मानव ने सीखा, वह था आग को जलाना. आग का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए होने लगा.
- दक्षिण भारत में कुरनूल की गुफाओं में इस युग की राख के अवशेष प्राप्त हुए हैं.
- पुरातत्त्वविदों ने पुणे-नासिक क्षेत्र, कर्नाटक के हुँस्गी-क्षेत्र, आंध्र प्रदेश के कुरनूल-क्षेत्र में इस युग के स्थलों की खोज की है. इन क्षेत्रों में कई नदियाँ हैं, जैसे – ताप्ती, गोदावरी, कृष्णा भीमा, वर्धा आदि. इन स्थानों में चूनापत्थर से बने अनेक पुरापाषाण औजार (weapons) मिले हैं.
- नदियों के कारण इन स्थलों के जलवायु में नमी रहती है. यहाँ गैंडा और जंगली बैल के अनेक कंकाल मिले हैं. इससे अनुमान लगाया गया है कि इन क्षेत्रों में इस युग में आज की तुलना में अधिक वर्षा होती होगी. ऐसा अनुमान इस आधार पर लगाया है कि गैंडा और जंगली बैल नमीवाले स्थानों में रहना पसंद करते हैं.
- अनुमान लगाया जाता है कि इस युग का अंत होते-होते जलवायु में परिवर्तन होने लगा. धीरे-धीरे इन क्षेत्रों के तापमान में वृद्धि हुई.
- इस युग का मनुष्य चित्रकारी करता था जिसका प्रमाण उन गुफाओं से मिलता है जहाँ वह रहता था.
मध्यपाषाण युग (Mesolithic Age)
पुरापाषाण काल लगभग एक लाख वर्ष तक रहा. उसके बाद मध्यपाषाण या मेसोलिथिक युग (Mesolithic Age) आया. बदले हुए युग में कई परिवर्तन हुए. जीवनशैली में बदलाव आया. तापमान में भी वृद्धि हुई. साथ-साथ पशु और वनस्पति में भी बदलाव आये. इस युग को मध्यपाषण युग (Mesolithic Age) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह युग पुरापाषाण युग और नवपाषाण युग के बीच का काल है. भारत में इस युग का आरम्भ 8000 ई.पू. से माना जाता है. यह काल लगभग 4000 ई.पू. के आस-पास उच्च पुरापाषाण युग का अंत हो गया और जलवायु उष्ण और शुष्क हो गया. परिणामस्वरूप बहुत सारे मौसमी जलस्रोत सूख गए होंगे और बहुत सारे जीव-जन्तु दक्षिण अथवा पूर्व की ओर प्रवास कर गए होंगे, जहाँ कम से कम मौसमी वर्षा के कारण लाभकारी और उपयुक्त घनी वनस्पति बनी रह सकती थी. जलवायु में परिवर्तनों के साथ-साथ वनस्पति व जीव-जन्तुओं में भी परिवर्तन हुए और मानव के लिए नए क्षेत्रों की ओर आगे बढ़ना संभव हुआ.नवपाषाण काल (Neolithic Age)
मध्यपाषाण काल के बाद नवपाषाण युग में मनुष्य के जीवन में बहुत अधिक परिवर्तन आया. इस युग में वह भोजन का उत्पादक हो गया अर्थात् उसे कृषि पद्धति का अच्छा ज्ञान हो गया. यह पाषाणयुग की तीसरी और अंतिम कड़ी है. भारत में 4,000 ई.पू. से यह यह शुरू हुआ और संभवतः 2500 ई.पू. तक चलता रहा. इस युग में मनुष्य का मस्तिष्क अधिक विकसित हो चुका था. उसने अपने बौद्धिक विकास, अनुभव, परम्परा और स्मृति का लाभ उठाकर अपने पूर्व काल के औजारों व हथियारों को काफी सुधार लिया. दक्षिण भारत और पूर्व भारत में अनेक स्थलों पर इस संस्कृति के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं. दक्षिण भारत में गोदावरी नदी के दक्षिण में ये साक्ष्य मिले हैं. इस युग में भारतीय मानव ने ग्रेनाइट की पहाड़ियों अथवा नदी तट के समीप बस्तियाँ स्थापित की थीं. पूर्वी भारत में गंगा, सोन, गंडक और घाघरा नदियों के डेल्टाओं में मानव रहता था.
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